एक बड़ी ही सुन्दर महिला जो अक्सर एक बैंक में आया करती थी...,😺😸😆😆
:
उस बैंक के सारे कर्मचारी उस महिला से बड़े ही
प्रभावित थे...,😜😜😜😜
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और उसे देखने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते थे...,
:
🤑😛😝सबने मिलकर कैशियर को कह रखा था..
जब भी वो महिला आये तो जोर से आवाज लगाना,
:
"चैक आया रे"
:💎😛😝😆😆😆😝
जब ऐसा 2-4 बार हुआ तो उस महिला को समझ आ गया कि ये आवाज उसके लिए आती है.,
:
एक दिन जैसे ही वो आई...
:
केशियर जोर से चिल्लाया...
:
"चेक आया रे...."
:
वो महिला धीरे-से शरमाई फिर मुस्कुराई..
:
और अपना मंगलसूत्र दिखा कर जोर से बोली...
:
पर Account Payee है रे.!"
😊😂😂😂😂
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😃😃
*स्टेटबैंक की कहानी :*
ज़रूरी नहीं कि
*पापों के प्रायश्चित के लिए* दान पुण्य ही किया जाए।
*स्टेट बैंक में खाता*
*खुलवा कर भी*
प्रायश्चित किया जा सकता है..
छोटा मोटा पाप हो, तो
*बैलेंस पता करने चले जाएँ।*
चार काउन्टर पर धक्के खाने के बात पता चलता है, कि *बैलेंस गुप्ता मैडम बताएगी।*
*गुप्ता मैडम का काउन्टर कौन सा है,*
ये पता करने के लिए
*फिर किसी काउन्टर पर जाना पड़ता है।*
*लेवल वन कम्प्लीट हुआ।* यानी गुप्ता मैडम का
*काउन्टर पता चल गया है।* लेकिन थोड़ा वेट करना पड़ेगा, क्योंकि *मैडम अभी सीट पर नहीं है।*
आधे घंटे बाद चश्मा लगाए, पल्लू संभालती हुई,
*युनिनोर की 2G स्पीड से* चलती हुई गुप्ता मैडम
*सीट पर*
*विराजमान हो जाती है।*
आप मैडम को खाता नंबर देकर बैलेंस पूछते है।
मैडम
*पहले तो*
*आपको इस तरह घूरती है,* जैसे
*आपने उसकी* *बेटी का हाथ मांग लिया है।* आप भी *अपना थोबड़ा ऐसे*
*बना लेते है*. *जैसे सुनामी में आपका सब कुछ उजड़ गया है,* और आज की तारीख में आपसे बड़ा
*लाचार दुखी कोई नहीं है।*
गुप्ता मैडम को
*आपके*
*थोबड़े पर तरस आ जाता है,* और
*बैलेंस बताने जैसा भारी काम करने का मन बना लेती है।* लेकिन
*इतना भारी काम, अकेली अबला कैसे कर सकती है?* तो मैडम सहायता के लिए आवाज लगाती है~
*"मिश्रा जीsss, ये बैलेंस कैसे पता करते है?"*
मिश्राजी,
*अबला की* *करुण पुकार सुनकर* अपने
*ज्ञान का* *ख़ज़ाना खोल देते है।*
पहले तो खाते के अंदर जाकर क्लोजिंग बैलेंस पर क्लिक करने पर बैलेंस आ जाता था। लेकिन अभी सिस्टम चैंज हो गया है। अभी आप *f5* दबाएँ, और इंटर मार दे, तो बैलेंस दिखा देगा.."
गुप्ता मैडम
चश्मा ठीक करती है, *तीन बार मॉनिटर की तरफ और तीन बार की-बोर्ड की तरफ़* नजर मारती है।
फिर उंगलियाँ की-बोर्ड पर *ऐसे फिराती है, जैसे कोई तीसरी क्लास का लड़का वर्ल्ड मैप में सबसे छोटा देश मस्कट ढूंढ रहा हो.*
मैडम फिर मिश्रा जी को मदद के लिए पुकारती है~
"मिश्रा जी, *ये f5 किधर है..??"*
*शायद मैडम की उम्र पचास से ऊपर होने के कारण*. मिश्रा जी
*पास आकर मदद करने की ज़हमत नहीं उठाते।*
इसलिए *वहीँ बैठे बैठे* जोर से बोलते है~
"की बोर्ड में सबसे ऊपर देखिये मैडम.."
"लेकिन सबसे ऊपर तो सिर्फ़ तीन बत्तियां जल रही है.."
"हां उन बत्तियों के नीचे है। लम्बी लाइन है
*f1 से लेकर f12* तक.."
*फ़ायनली,*
मैडम को f5 मिल जाता है। मैडम झट से बटन दबा देती है। मॉनिटर पर आधे घंटे तक *रेतघड़ी, (कुछ लोग उसे डमरू कहते हैं)* बनी रहती है।
*अंत में*
एक मैसेज आता है~
*"Session expired. Please check your connection.."*
*मैडम अपने हथियार डाल देती है।*
एक नजर, आपके *ग़रीबी-लाचारी से पुते चेहरे पर*
डालती है और कहती है~ *"सॉरी, सर्वर में प्रोब्लम है.."*
कहने का टोन
*ठीक वैसा ही* होता है, जैसे
*पुरानी फिल्मों में डॉक्टर ओपरेशन थियेटर से बाहर आ कर* कहता था~
*"सॉरी, हमने बहुत कोशिश की*
*पर ठाकुर साहब को*
*नहीं बचा पाए..."*
🤪👍
(इस सत्यकथा का परम आनन्द, केवल भुक्तभोगी ही उठा पाएंगे.)